Re: उपन्यास : टुकड़ा - टुकड़ा सच
अपनी रचना पढ़ने हेतु निवेदन भेजने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
रचना कैसी लगी ये तो पढ़कर ही बता पाऊंगा
फिलहाल चंद प्रविष्टियाँ ही पढ़ पाया हूँ
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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