Re: गंगा से कावेरी तक
आज इस आलेख को दोबारा पढ़ने का अवसर मिला. चारों ओर का परिदृश्य देखने के बाद लगता है कि स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है. बल्कि कभी कभी लगता है कि देश की राजनीति पहले से अधिक सक्रिय हो गयी है. कुछ लोग अपना नाम चमकाने में लगे हैं, कुछ देशभक्ति की नई परिभाषा लिख रहे हैं और कुछ नेता देश भक्त होने का सर्टिफिकेट बाँट रहे हैं.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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