Re: इधर-उधर से
सिकंदर महान की अंतिम ख्वाहिशें
अपनी मृत्यु शैया पर लेटे सिकंदर ने अपमे सेनापतियों को बुलवाया और उन्हें अपनी तीन अंतिम ख्वाहिशों के बारे में बताया:
1. उसके शव को केवल सर्वोत्तम चिकित्सक ही उठाएंगे
2. उसके द्वारा जो भी संपत्ति (धन-दौलत, सोना-चाँदी, हीरे-जवाहरात आदि) जोड़ी गई है, उसके कब्रिस्तान तक जाने वाले जलूस के रास्ते में बिखरा दिये जायें.
3. उसके हाथों को ताबूत के बाहर लटकने दिया जाये ताकि लोग यह सब देख सकें.
उसके एक जनरल ने, जो सिकंदर की इन अंतिम इच्छाओं को सुनकर बहुत हैरान हो रहा था, उससे ऐसा करने का कारण पूछा. इस पर सिकंदर ने कहा:
1. मैं अपना ताबूत सर्वोत्तम चिकित्सकों के द्वारा उठवा कर इसलिए ले जाना चाहता हूँ ताकि लोग जान सकें कि मृत्यु के समय अच्छे से अच्छा चिकित्सक भी आपको उससे बचा नहीं सकता.
2. मेरी शवयात्रा के रास्ते में संपत्ति को बिखराने के पीछे मेरा उद्देश्य यह बताना है कि लोग जान सकें कि जो संपत्ति हम अन्यान्य तरीकों से धरती पर अर्जित करते हैं, वह धरती पर ही रह जायेगी.
3. मैं चाहता हूँ कि मेरी मैय्यत ले जाते समय मेरे खाली हाथ ताबूत से बाहर लटके रहें ताकि सब लोग देख सकें कि अपना सबसे कीमती खजाना यानी “समय” का उपभोग करने के बाद भी व्यक्ति ऐसे ही खाली हाथ दुनिया से रुखसत हो जाता है जैसे खाली हाथ वह दुनिया में आया था.
उपरोक्त प्रसंग का एक निहित संदेश यह भी है कि हम अपनी धन-संपत्ति को बढ़ा सकते हैं लेकिन अपने समय और जीवन की मियाद को नहीं बढ़ा सकते. जब हम किसी को अपना समय देते हैं तो यह समझना चाहिए कि हम उसे अपने जीवन का एक हिस्सा दे रहे हैं. सबसे बड़ी भेंट या उपहार समय ही हो सकता है. ईश्वर आप सबको ढेर सा समय दे ताकि आप इसे अन्य लोगों में बुद्धिमत्तापूर्वक बाँट सकें और अपने अंतिम क्षण तक अर्थपूर्ण तरीके से जीवित रह सकें, प्यार कर सकें और चैन से मर सकें.
मित्रो, जीवन बहुत छोटा है. हमें चाहिए कि इसे बहुत अच्छे से व्यतीत करें. हर मनुष्य के जीवन की एक एक्सपायरी डेट भी होती है. अतः यह ज़रूरी है कि हम इसकी कीमत को समझें. ईश्वर हम सब पर अपनी कृपा बनाए रखे.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 28-10-2014 at 10:50 AM.
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