Re: इधर-उधर से
भलाई का बदला
साभार: बीबीसी / निशांत
उस युवक का नाम फ्लेमिंग था और वह एक गरीब स्कॉटिश किसान था. एक दिन, जब वह जंगल में कुछ खाने का सामान ढूंढ रहा था तभी उसे कहीं से किसी लड़के के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई दी. अपना सामान उधर ही पटक कर वह आवाज़ की दिशा में दौड़ा.
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अलेक्सेंडर फ्लेमिंग और विंस्टन चर्चिल
उसने देखा कि एक दलदली गड्ढे में एक लड़का छाती तक फंसा हुआ है और बचने के लिए छटपटा रहा है. फ्लेमिंग ने किसी तरह लकडी आदि की सहायता से उसे खींचकर बाहर निकाला. ज़रा सी देर और हो जाती तो वह लड़का उस दलदल में समा जाता.
अगले दिन फ्लेमिंग की गरीब बस्ती में एक लकदक बग्घी आकर रुकी. एक कुलीन सज्जन उसमें से उतरे और उन्होंने फ्लेमिंग को बताया कि वे उस लड़के के पिता थे जिसकी जान फ्लेमिंग ने बचाई थी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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