08-04-2014, 11:39 PM
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Re: क्या आप महंगी दवाओं से परेशान हैं ? :.........
ब्रांड के नाम पर मनमानी कीमत वसूलने के खिलाफ संघर्ष करने वाली ' प्रतिभा जननी सेवा संस्थान' का कहना है कि भारत जैसे देश में 32-35 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। ऐसे में दवाइयों को ब्रांड के नाम पर बेचने की जरूरत क्या है। संस्था के समन्वयक आशुतोष कुमार का कहना है कि इस देश को दवा की ज़रूरत है न की ब्रांड की।
भारत में दवाइयों के मूल्य का निर्धारण एनपीपीए करती है। इसके लिए भारत सरकार ने 348 सॉल्ट का नाम निर्धारित किया है। पहले इनकी संख्या 74 थी। यहां एक बात ध्यान रखने योग्य है कि भारत में वैसे भी 12-13 दवाइयों पर ही रिसर्च हुई है, बाकि की रिसर्च सब विदेशों में ही होती है। हालांकि, कई बार किसी खास दवा की ज़्यादा ज़रूरत को देखते हुए सरकार उसकी जेनरिक बनाने का आदेश भी देती है।
वैसे भी आज जेनरिक और ब्रांड के बीच इतनी धांधली हो चुकी है कि आम जेनरिक दवाइयों को भी ब्रांड के नाम से बेचा जा रहा है। सरकार का कहना है कि दवाई कंपनियों की दवाइयों पर 1126 प्रतिशत का फायदा होता है जबकि समाजसेवी संस्थाओं का मानना है कि यह फायदा तीन हजार प्रतिशत तक होता है। सरकार का भी कहना है कि अगर दवाई का कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन एक रुपया है तो उसका एमआरपी दो रुपए हो सकता है, जबकि ऐसा नहीं होता है कॉस्ट से कई गुना ज़्यादा की कीमत पर दवाइयों को बेचा जाता है :.........
दैनिक भास्कर के सौजन्य से :.........
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