Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय
अस्तित्व था। द्वितीय शताब्दी के राजा खारवेल के उदयगिरी - लेख में 'कुसंब जाति के क्षत्रियों' का उल्लेख है, इसी अवधि के नासिक की पाण्डव गुहा लेख में 'उत्तम भाद्रक्षत्रियों' का वर्णन है, गिरिनार पर्वत -लेख में 'यौधेयों' को क्षत्रिय कहा गया है तथा तीसरी सदी के नागार्जुन कोंड - लेख में इक्ष्वाकुवंशीय राजाओं का उल्लेख है।
यद्यपि डॉ० ओझा के विदेशी मत के विपक्ष में ये तर्क महत्वपूर्ण हैं किन्तु जो विदेशी भारत में आकर बस गये, उनका भारतीय समाज में विलनीकरण कैसे हुआ, यह प्रश्न अनुत्तरित रह जाता है। डॉ० गोपीनाथ शर्मा का मत है - 'इस प्रश्न को हल करने में हमें यही युक्ति सहायक होगी कि इन विदेशियों के यहाँ आने पर पुरानी सामाजिक व्यवस्था में अवश्य हेर - फेर हुआ।
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'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज
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