Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय
डॉ० ओझा तथा वैद्य इस ब्राह्मणवंशीय मत को अस्वीकार करते हुए कहते हैं कि 'द्विज ब्रह्माक्षत्री', 'विप्र' आदि शब्दों का प्रयोग राजपूतों को क्षत्रिय जाति की अभिव्यक्ति के लिए हुआ है न कि ब्राह्मण जाति के लिए। डॉ० गोपीनाथ शर्मा कुम्भलगढ़ - प्रशस्ति के आधार पर गुहिलवंशीय राजपूतों को ब्राह्मण वंशीय माना है। चाटसू अभिलेख में गुहिल भर्तृभ को 'ब्रह्मक्षत्री' इसलिये कहा गया है कि उसे ब्राह्मण संज्ञा से क्षत्रित्व प्राप्त हुआ। पहले भी कण्व तथा शुंग ब्राह्मणवंशीय क्षत्रिय शासक हुए हैं।
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आपका दोस्त पंकज
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