दही
दही में प्रोटीन की क्वालिटी सबसे अच्छी होती हैं। दही जमाने की प्रक्रिया में बी विटामिनों में विशेषकर थायमिन, रिबोफ्लेवीन और निकोटेमाइड की मात्रा दुगुनी हो जाती है। दूध की अपेक्षा दही आसानी से पच जाता है।
दही पांच प्रकार की होती है।
1. मन्द 2. स्वादु 3. स्वाद्वम्ल 4. अम्ल 5. अत्यम्ल
1. मन्द दही : जो दही दूध की तरह अस्पष्ट रस वाला अर्थात आधा जमा हो और आधा न जमा हो, वह मन्द (कच्चा दही) कहलाता है। मन्द (कच्चे दही) का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके सेवन से विष्ठा तथा मूत्र की प्रवृत्ति, वात, पित्त, कफ तथा दाह (जलन) आदि रोग पैदा होते हैं।
2. स्वादु दही : जो दही अच्छी तरह से जमा हुआ हो, मधुर खट्टापन लिए हुए हो उसे स्वादु दही कहा जाता है। स्वादु दही नाड़ियों को अत्यन्त रोकने वाला और रक्तपित्त को साफ करने वाला होता है।
3. स्वाद्वम्ल दही : जो दही अच्छी तरह जमा हुआ मीठा और कषैला होता है। वह `स्वाद्वम्ल` कहलाता है। `स्वाद्वम्ल` दही के गुण साधारण दही के गुणों के जैसे ही होते हैं।
4. अम्ल दही : जिस दही में मिठास नहीं होती है और खट्टापन ज्यादा होता है। वह दही अम्ल यानि खट्टा दही कहलाता है। अम्ल दही (खट्टा दही) अग्नि को प्रदीप्त (पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला) करने वाला पित्त रक्त को बिगाड़ने वाला और रक्तपित्त तथा कफ (बलगम) को बढ़ाने वाला होता है।
5. अत्यम्ल दही : जिस दही को खाने से दांत खट्टे हो जाएं, रोंगटे खडे़ हो जाए और कंठ आदि में जलन हो, वह दही अत्यम्ल कहलाता है। यह दही अग्नि को प्रदीप्त (पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला) करने वाला, रक्त को बिगाड़ने वाला एवं वायु (गैस) तथा पित्त (गर्मी) को पैदा करता है।
रंग : दही का रंग सफेद रंग का होता है।
स्वाद : यह खट्टा और मीठा होता है।
स्वरूप : दूध को गर्म करने के बाद उसे ठण्डा करके उसमें कुछ जमाने वाला पदार्थ डालकर दही बनता है। दही भी कई प्रकार का होता है, जैसे- मीठा दही, खट्टा दही, ज्यादा खट्टा दही।
स्वभाव : दही खाने से शरीर को ठण्डक और शीतलता महसूस होती है।
हानिकारक : खट्टा दही पित और बलगम को पैदा करता है। ज्यादा खट्टा दही खाने से दांत खट्टे होते हैं और शरीर के रोये खड़े हो जाते हैं, पेट में जलन भी होती है।
परहेज : दमा, श्वांस, खांसी, कफ, सूजन, रक्तपित्त तथा बुखार आदि रोगों में दहीं नहीं खाना चाहिए। रात को दही नहीं खाना चाहिए। दही में चीनी या शहद डालकर खाने से इसके गुण बढ़ जाते हैं।
दोषों को खत्म करने के लिए : दही में नमक, जीरा और गोलमिर्च मिलाकर खाना ज्यादा लाभदायक है।
गुण : गर्म दिमाग वालों के लिए दही बहुत गुणकारी है। दही प्यास को रोकता है, दही की मलाई को सिर पर मसाज करने से वही फायदा मिलता जो घिया, लौकी के बीज से मिलता है। दही को अगर चेहरे पर लगाया जाये तो चेहरे की झांई, रूखापन और कालापन दूर होता है।