Re: आस्तिकता के कुछ दुष्परिणाम
ईश्वर की अवधारणा के साथ ही जुड़ी हुई है स्वर्ग-नरक या परलोक की धारणा, और देहान्त के बाद आत्मा के इन लोकों में जाने की कल्पना! हिन्दुओं में परलोक की यह कल्पना वैदिक काल के वांग्मय में नहीं मिलती। इसका कारण सम्भवतः यह है कि वैदिक सभ्यता विजेता आर्यों की सभ्यता थी। जमीनों की इफरात थी। नए-नए क्षेत्र जीते जा रहे थे। इहलोक धन-धन्य से परिपूर्ण था। इस लोक के दुख-दर्दों की क्षतिपूर्ति के लिए परलोक के लम्बे-चौड़े दर्शनशास्त्र की आवश्यकता नहीं थी। वैदिक ऋषियों ने जिन देवताओं की कल्पना की - इन्द्र, वरुण, यम आदि - वे भी उनके अपने पूर्वज ही थे या प्रकृति की ऐसी शक्तियों के प्रतीक, जिनका रहस्य समझ में नहीं आता था, जैसे अग्नि, वायु, वर्षा आदि।
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