Re: टीवी पर गुटबंदी
खैर अगर मुद्दे पर आते है...शायद डीश एन्टेना लगा कर टीवी देखने पर सिगन्ल प्रसारण करने वालों को यह पता चल जाता है की कितने टीवी पर, कोन सी जगह, कितने समय पर, कोन से कार्यक्रम देखें जाते होंगे। वे यह डेटा एजेन्सी को देतें (या बेचते) है। फिर शायद ईस पर से टीआरपी तय करने में मदद मिलती है। भाव भी तय होते है, महंगे विज्ञापन बडी चेनलों पर और सस्ते वाले न्यूझ, धार्मिक, म्युझिक चैनलों को मिलतें है!
सभी विज्ञापनों को दिखाने का भाव....समय के हिसाब से बदलता रहता है। प्राईम टाईम का रेट सबसे ज्यादा होता है। प्राईमटाईम से आगे पीछे का समय भी थोडा हाई ही होता है...सो मेरे खयाल से यह सब देख कर के विज्ञापन प्रसारित होतें है!
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