Re: शायर व शायरी
शायर व शायरी
गज़ल
साभार: अभि शर्मा 'मित्र'
सरल शब्दों में हम जब भी दिलों की बात करते हैं
ज़हर पी के भी दुनियां के बयां हालात करते हैं
नही ये काम पल दो पल का यारों आशिकी करना
मुहब्बत में फना खुद को सनम दिन रात करते हैं
कभी जो सोचता हूं मै भूला दूं यार का सपना
मुझे मजबूर मेरे दिल के अब जज्बात करते हैं
नहीं आता जिन्हें शतरंज की बाजी पलट देना
यहां ऐसे भी लोगों से कभी शह मात करते हैं
कभी माना जिसे अपना वही है आज इक सपना
जिसे दिल में बसाते हैं वही आघात करते हैं
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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