Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘इहे की चौकीदराब अपने भौजाई से फंस हलै औ जब भेद खुल गेलई तो ओकरा जहर देके मार देलकै।’’
सुन कर वे अबाक रह गए-‘‘मर्दे इ सब की कहों ही तों, इस सब हमरा से नै होतई, इ सब तो झूठ है।’’
‘‘हां, झूठ त हइए है, पर साला चौकीदरबा के ठंढा करेके के चाही ने सुराज दा, देखो हो केतना उड़ो हो।’’
‘‘पर बेचारी मरलका के कहे ले घसीटों हीं हो, हमरा से यह सब नै होतो।’’
कह कर फूफा घर आ गए। फूआ जब सब बात जानी तो कोहराम मचा दिया।-‘‘तोरा बुरबक जान के सब फंसाबे ले चाहो हो। होशियार रहीहा।’’
कई दिनों तक इस पर बहस होती रही। फूफा अपने बड़े भाई से बहुत लिहाज करते थे या यूं कहें की डरते भी थे, इसलिए उनके काफी मान-मनौअल और दबाब के बाद वे मान गए, एक झूठा मुकदमा करने के लिए। मान मनौअल के इस दौर में बड़े भाई ने साथ नहीं देने पर गाली गलौज भी दी और मारने पीटने की बात भी कही, जो उनके लिए असाह्य था। सो बात बन गई। चौकीदार की भाभी की बिमारी से मौत हो गई थी, कम उर्म में ही और चौकीदार से दुश्मनी सधाने का यह एक अच्छा मौका था। सो सब ने मिलकर उसे हत्या के मुकदमें में फंसा दिया। बाद में गोतिया की बात होने की दुहाई देकर फूआ को भी मना लिया गया।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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