Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘मतलब?’’
‘‘तोरा नै पता?’’
‘‘देख, जादे बौख नै।’’
तभी देखा की उसी रास्ते पर गांव का संजीव चला आ रहा है पर आज दोनों में से किसी ने वहां से हटने की या छुपने की कोशिश नहीं की। यह साहस था सच्चे प्रेम का। दो आपस में बतियाते रहे, हां बातचीत का विषय बदल गया। और सिनेमा की चर्चा होने लगी। फिर मैं जिधर से आया था उधर ही लौट गया और वह अपने घर की ओर चली गई।
अब किशोर मन अपने भविष्य की भी परवाह नहीं करते हुए प्रेम में पागल था पर अर्न्तद्वंद साथ साथ चल रही थी। खास कर अपनी निर्धनता को लेकर परेशान था। कहीं किसी कोने से यह आवाज आती कि उज्ज्वल भविष्य को लेकर यह प्रेम का चक्कर सबसे बड़ी बाधा है पर कहीं कोई इसका विरोध करते हुए नियती को प्रबल मानने की बात कहते हुए तर्क दे रहा था- सच्चाई और प्रेम ही उज्ज्वल भविष्य की निशानी है और इस अनमोल मोती को खोकर कंकड़-पत्थर मिले भी तो किस काम का....!
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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