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Old 27-01-2013, 10:10 PM   #7
jai_bhardwaj
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Default Re: छुआछूत (अस्पृश्यता) .. सिद्धांत या कलंक

अध्याय एक के सन्दर्भ में ब्लॉग में कुछ टिप्पणियाँ भी प्राप्त हुयी हैं ...

3 टिप्पणियां:

1. बहूत सुन्दर

आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा

2. प्राचीन अपवित्रता के बारे में मेरे विचार कुछ भिन्न हैं। चूंकि प्राचीन काल में "अन-हायजेनिक"ता व "संक्रमण" की संभावना अधिक थी अतः गर्भवती माताओं को इनसे दूर रखने के लिये उनसे अधिक कार्य व्यवहार पर पाबंदी लगाई गई। इससे वे माताएं एवं उनके नवजात बीमारियों से बचे रहते। कालांतर में ये पाबंदियां दूसरों के सिर से हट कर गर्भवती एवं नवप्रसूताओं के सिर आ गई तथा अपवित्रता कहलाई।

इसी प्रकार प्राचीन समय में मृत्यु होने पर मृत्यु के साधारणतयः कारण संक्रमण से बचाव के लिये संबंधित परिवार का सार्वजनिक कार्यें व स्थानों से सूतक की अवधि के लिये निषेध किया जाता था।
संक्रमण के इन्क्यूबेशन पीरियेड का बाद, जो कि 10-12 दिनों का अधिकतम हो सकता है, सूतक का समापन किया जाता था जिसका सार्वजनिक प्रदर्शन सामुहिक भोज, पगड़ी आदि के रूप में किया जाता था। यदि परिवार संक्रमण से प्रभावित होता तो इसी सूतक की अवधि में कोई अन्य सदस्य भी प्रभावित हो जाता। अन्यथा परिवार संक्रमण रहित मान लिया जाता।



3. एक नया जोश एक नया वक़्त एक नया सवेरा लाना है
कुछ नए लोग जो साथ रहे कुछ यार पुराने छूट गए
अब नया दौर है नए मोड़ है नई खलिश है मंजिल की
जाने इस जीवन दरिया के अब कितने साहिल फिसल गए

अत्यंत खूबसूरत प्रस्तुति
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754

Last edited by jai_bhardwaj; 27-01-2013 at 10:19 PM.
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