Re: मेलजोल
इससे पहले हम कुछ और साक्ष्य प्रस्तुत करें, कबीरदास के कुछ और काल्पनिक दोहों पर नज़र डालते हैं, क्योंकि कबीरदास आज यदि जीवित होते तो पत्रकारों के बारे में भी कुछ कहते। क्या कहते? आइए, देखते हैं—
'पत्रकार लघु जानि कै, टाँग न दीजै डारि।
थाना पुलिस बुलाय कै, तन सब दैहें फारि।।'
अर्थ स्पष्ट है- कबीरदास कहते हैं- पत्रकार यदि छोटा भी हो तो भी उससे नहीं उलझना चाहिए। छोटा पत्रकार भी पुलिस भेजकर आपको थाने में घसीट सकता है और आपकी पिटाई करवा सकता है, क्योंकि पत्रकार और पुलिस की आपस में बड़ी मिलीभगत होती है।
क्या कहा? इस दोहे का साक्ष्य प्रस्तुत करें। हर चीज़ का साक्ष्य हम थोड़े ही प्रस्तुत करते रहेंगे। यह तो कर के देखने की चीज़ है। आप खुद किसी पत्रकार को छेड़कर देखिए, आटे—दाल का भाव पता चल जाएगा।
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