Re: कहानी : निशिगंधा - अनिल कान्त
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Originally Posted by rajnish manga
जय जी, एक बहुत सुलझी हुई कहानी पढ़वाने के लिये मैं तहे-दिल से आपका आभार प्रकट करना चाहता हूँ. कहने को यह एक प्रेम कथा है, किन्तु इसमें मानवीय जीवन के बहुत से पहलु उजागर होते हैं. व्यक्ति जब किसी से प्यार करता है तो उसे प्रतीत होता है जैसे उसे दुनिया की सारी दौलत मिल गयी हो. उसे ऐसा लगता है कि जैसे सारी दुनिया एक बिंदु में सिमट आई है जिसमें दो प्रेमी हैं और कोई नहीं. किन्तु जब रिश्ते टूटते हैं तो व्यक्ति क्षुद्र हो जाता है, मामूली हो जाता है. जीवन में नियति कैसे कैसे सितम ढा सकती है, उसकी भी मिसाल मिलती है. कहानी में फिल्मी अंदाज़ वाले संयोग कई बार आते हैं, किन्तु कुल मिला कर कहानी बहुत रोचक है और पाठक को बाँध कर रखती है.
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प्रतिक्रिया का हार्दिक अभिनन्दन है बन्धु। आभार।
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