View Single Post
Old 19-10-2013, 02:47 PM   #2
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: डॉ. धर्मवीर भारती और श्रीमती पुष्पा भारती

प्र. आप आजीवन डॉ भारती की प्रेरणा, हमसाया, हमकदम, संगी साथी, सखी और सब कुछ बनी रहीं। वे आपके लिये क्या थे?

उ. तुम कनुप्रिया की कविता याद कर लो। जब मैने उनसे पूछा कि आप मेरे कौन है तो भारती जी ने उत्तर में तुम मेरे कौन होकविता लिखी। वे मेरे गुरू पिता और भाई थे। पति तो बहुत बाद में थे। वह तो गौण रिश्ता है। वे मेरे सब कुछ थे। सबसे बढ़कर वे मेरे बच्चे थे। मुझमें उन्हें अपनी मां दिखती थी। हम दोनों ने एक दूसरे को पा लिया फिर और कहीं नजर जाने का सवाल ही नहीं उठता। यह अपने आप में संपूर्ण प्यार था।
प्र. आमतौर पर कहा जाता है कि लेखन औरों का भला करे न करे, पर हमें खुद को एक बेहतर इन्सान बनाता है। आपका इस बारे में क्या मानना है?

उ. यह शब्दश सत्य है। किताब का क्राइटीरिया ही यह है कि जिसे पढ़कर मै बेहतर बन सकूं। वह किताब वह संगीत जो मुझे सुख पहुंचाये, वह मेरे लिए सर्वश्रेष्ठ है। जिस वस्तु में मुझे व्यापक क्षितिज मिले वह मेरे लिए सर्वश्रेष्ठ है।

प्र. आजकल आप भारती जी के रचनासंसार को एकत्र करने संपादित करने और सहेजने की मुहिम में जुटी हैं। ऐसे में आपके बच्चों का योगदान और रुख क्या है?

उ. बच्चे हमेशा से यह जानते हैं कि हम दोनों एक दूसरे को कितना प्यार करते हैं। इसलिए जब मै व्यस्त रहती हूं तो छेड़ते नहीं। उन्हें पता है कि मुझे सुख देना है तो मुझे भारती जी में डूबा रहने दें। बेटी व्यावहारिक रूप से मेरी मदद करती है़, मुझे मुक्त रखती है कि मै काम कर सकूं। बच्चों को पता है कि मेरी बात में पिता और पति जरूर आएंगे। पहले भारती जी मुझे सुनते थे, अब मेरी बेटी प्रज्ञा है जो मुझे सुनती है। मै यह सोच कर काम नहीं कर रही कि भारती जी के लिए कर रही हूं। यह मेरे जीने का सबब है। भारती जी को पेड़ों से बहुत लगाव था। उनकी मृत्यु के बाद हमारे घर के कदंब के पेड़ों ने फूल देना बन्द कर दिया है। हां अभी रचनासंसार को कोई नहीं देख रहा पर उनकी किताबों का असली मूल्यांकन आगे होगा। अभी तो ईर्ष्या-द्वेष चल रहा है। मै कौन होती हूं। मै समुद्र में बूंद के बराबर हूं।

प्र. उम्र के इस दौर में भी आपकी सक्रियता देखते बनती है। तो इस सक्रियता के पीछे कौनसी प्रेरणाशक्ति काम कर रही है?

उ. निश्चित रूप से भारती जी का प्यार काम कर रहा है। मैने उन्हें पति समझा ही नहीं। दूसरे मैने कभी किसी का अहित नहीं चाहा, जिसने किया उसका भी नहीं। लेकिन अब उम्र थकाने लगी है। जब काम ज्यादा था तो थकान भी नहीं होती थी। काम कम होने के साथ ही शक्ति भी चुकने लगी है। मै अब भी उनके साथ ही जी रही हूं। मै मिस ही नहीं करती उनको।
rajnish manga is offline   Reply With Quote