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Old 10-03-2016, 12:10 PM   #5
rajnish manga
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Default Re: कहानी: मिट्टी का माधव

और मुमताज हाथ में मिटटी का पुतला लिए बेशक्त भागती चली जा रही थी .. तभी भीड़ के कुछ हाथो ने उसे दबोच लिया . मुमताज लड़की थी और उससे भी बड़ी बात जवान लड़की थी . इस लिए अभी उसके नसीब में कुछ सांसे और बाकी थी . दंगइयो के भीड़ उसे उठा कर ले गयी एक खंडहर में ( जोखंडहर मर चुकी संवेदनाओ का खत्म हो गयी इंसानियत का ) उसके मुसलमान होने की सजा देने के लिए ., दंगो में हासिल मादा को सिर्फ अपनी जान नही गवानी होती है उस से पहले इंसान से हैवान में तब्दील हो चुके नर की हवस भी बुझानी होती है . कोई भी युद्ध हो दंगा हो उसकी सब से ज्यादा कीमत औरत को चुकानी होती है और ये कीमत मुमताज ने भी चुकाई .
मुमताज के पल पल मुर्दा होते   नग्न जिस्मपर न जाने कितने आत्मा से मर चुके बदन आते जाते रहे . मुमताज की आत्मा कुछ समय बाद सच में आजाद हो चुकी थी पर उसके हाथ में अब भी टूट चुकेमिटटी के पुतले का सर मजबूती से भिचा हुआ था .
और अब मुमताज के सामने खड़ा जिंदा मिटटी का माधव था , और उसके कानो में गूंजते मुमताज के शब्द तुम भी कभी कभी इस मिटटी के पुतले जैसे हो जाते हो माधव , महीनों तक न जाने तुम कहाँ गायब रहते हो .. उस वक्त मेरी सारे गम ,  खुशियां , अफसाने सिर्फ मेरे होते है जिन्हें मै किसी से नही कह सकती हूँ .मेरी परेशानियाँ सिर्फ मेरी होती है और मुझ से बहुत दूर कहीं इस बेजान पुतले से खोये रहते हो . मै इससे तुम जैसा बना लूंगी , तुम्हारे न होने पर इस से झगड़ा करुँगी, इसे गले लगूंगी , अपने सुख दुःख सब बाँट लूंगी इस से . ये मिटटी का पुतला तुम हरपल मेरे साथ हो ये एहसास दिलाएगा मुझे .
आजाद हो चुका देश था और हमारे सामने एक सवाल हम सब भी तो मिटटी के पुतले ही तो है

!!! समाप्त !!!
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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