[QUOTE=dipu;213374]
बहुत सुन्दर सूत्र का सृजन आपने किया है, दीपू जी. मीना कुमारी अपने फ़िल्मी जीवन के मध्य में ही ट्रेजेडी क्वीन का खिताब पा चुकी थी. उनके जैसा भाव प्रवण अभिनय न कल की अभिनेत्रियों में दिखाई देता है न वर्त्तमान काल में. अपनी फिल्मों के ज़रिये मीना कुमारी तथा उनका अभिनय अमर रहेगा. उनकी फिल्मों में बैजू बावरा, साहब बीवी और गुलाम, फूल और कांटे, ग़ज़ल, चित्रलेखा, दिल एक मंदिर और पाकीज़ा को कौन भूल सकता है.