Re: पारख साहब के दिलचस्प किस्से
हम रहे ऊत के ऊत
आज पारख साहब ने निम्नलिखित दोहा हमें सुनाया –
जवाईं ले गए बेटियाँ,
बहुएं ले गयीं पूत,
तिरिया जोबन ले गई
हम रहे ऊत के ऊत.
उन्होंने हमें समझाया कि किस प्रकार आदमी बड़ा होता है, पढ़ाई लिखाई करता है, अपनी शादी करता है, बच्चे पालता है, फिर उनकी भी शादी करता है और फिर मर जाता है. ऐसे जीवन में भी क्या तंत है, क्या रखा है? इस प्रकार का भाव इस दोहे से प्रकट होता है.
(4/11/1976)
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