Re: मनोरंजक लोककथायें
लाख बुद्धि बोला- "तुम दोनों सही हो| पर एक बात मैं बताऊँ? इस ऊँटनी पर जो दो लोग सवार है उनमे एक मर्द व दूसरी औरत है|
करोड़ बुद्धि कहने लगा- "तुम तीनों का अंदाजा सही है| और ऊँटनी पर जो औरत सवार है वह गर्भवती है|"
अब चारों भाइयों ने ऊंट के उन पैरों के निशानों व आस-पास की जगह का निरीक्षण करने के बाद अपनी बुद्धि के आधार पर अंदाजा तो लगा लिया पर यह अंदाजा सही लगा या नहीं इसे जांचने के लिए आपस में चर्चा कर ऊंट के पैरों के पीछे-पीछे अपने घोड़ों को ऐड लगा दौड़ा दिए| ताकि ऊंट सवार का पीछा कर उस तक पहुँच अपनी बुद्धि से लगाये अंदाजे की जाँच की जा सके|
थोड़ी ही देर में वे ऊंट सवार के आस-पास पहुँच गए| ऊंट सवार अपना पीछा करते चार घुड़सवार देख घबरा गया कहीं डाकू या बदमाश नहीं हो, सो उसने भी अपने ऊंट को दौड़ा दिया| और ऊंट को दौड़ाता हुआ आगे एक नगर में प्रवेश कर गया| चारों भाई भी उसके पीछे पीछे ही थे| नगर में जाते ही ऊंट सवार ने नगर कोतवाल से शिकायत की - " मेरे पीछे चार घुड़सवार पड़े है कृपया मेरी व मेरी पत्नी की उनसे रक्षा करें|"
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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