Re: मोटापे का फ़ायदा
'मोटापा घटाने-बढ़ाने' के धन्धे में होने वाले 'मोटे फायदे' को देखकर देश भर के गली-कूँचों में 'मोटापा घटाओ-बढ़ाओ' डॉक्टरों के धूपछाताधारी एजेण्ट कुकुरमुत्ते की तरह उग आए और सड़क पर चलते हर कदम पर इनकी नि:शुल्क सेवाएँ उपलब्ध होने लगीं। सड़क पर मोटापे की जाँच करवाने, डॉक्टर से मिलने अथवा बात करने का कोई पैसा नहीं लगता था।
मोटापा घटाने या बढ़ाने का 'इलाज' शुरू करने पर ही पैसा लगना शुरू होता था। सड़क पर निःशुल्क ज्ञान बँटने के कारण चायवाला, खोमचेवाला और रेहड़ीवाला तक अपने मोटापे के प्रति जागरूक हो गया और बी०एम०आई० पर छोटा-मोटा लेक्चर देने और तर्क-वितर्क में भाग लेने में समर्थ हो गया।
इन धूपछाताधारी एजेन्टों के जबरदस्त प्रचार और प्रसार के कारण देशभर में मोटापे और दुबलापन के प्रति लोगों में घृणा का जाल फैल गया और लोग हरदम इस चिन्ता में डूब गए कि अपना वजन बी०एम०आई० के मानकों के अनुरूप कम या ज़्यादा कैसे किया जाए? मोटापे से होने वाले नुकसानों को एक-एक करके इतना गिनाया गया कि लोग दहल गए और फ़ायदा हो या न हो, 'मोटापा घटाओ-बढ़ाओ केन्द्रों' पर जाकर अपनी जेब ढ़ीली करके 'मोटापा घटाओ जूस' पीने पर विवश हो गए। यह सब देखकर हमारे दोनों कानों के साथ सिर के बाल भी खड़े हो गए और हमने इस दिशा में शोध करना प्रारम्भ किया कि क्या वाकई मोटापे से सिर्फ़ हानि ही हानि है और फ़ायदा कुछ भी नहीं है? (अभी और है।)
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