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Old 06-01-2015, 02:17 PM   #13
kuki
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kuki is a glorious beacon of lightkuki is a glorious beacon of lightkuki is a glorious beacon of lightkuki is a glorious beacon of lightkuki is a glorious beacon of light
Default Re: मानव जीवन और मूश्किले बनाम सरलताये

मेरा मानना है की किसी भी इंसान की ज़िंदगी परफेक्ट नहीं होती। हर इंसान के जीवन में सुख और दुःख दोनों आते ही हैं। लेकिन जैसे यहां बात चल रही है कि किसी इंसान के जीवन में सिर्फ दुःख और कठिनाइयां ही हों तो वो क्या करे ?अगर हम भगवान से शिकायत करने लगें तो इस दुनिया में हर रोज़ लाखों लोग होंगे जो किसी न किसी तकलीफ में होंगे भगवन किस -किस की शिकायत सुनेंगे ?भगवान ने हमारे लिए सबसे बड़ा काम पहले ही कर रखा है कि हमें ज़िंदगी दे रक्खी है ,अब उसे जीना हमें है और हमें ये आना चाहिए। मैं मानती हूँ की हर इंसान को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है ,अगर हमारे जीवन में दुःख हैं तो हम उन्हें दूर करने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं और किस स्तर पर कर रहे हैं ,ये महत्वपूर्ण है। महाभारत के युद्ध में अगर भगवान श्रीकृष्ण चाहते तो पूरा युद्ध एक दिन में खुद लड़ कर ख़त्म कर सकते थे ,लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि ये लड़ाई पांडवों की थी और जब अर्जुन भावनात्मक रूप से कमज़ोर हो रहे थे तो श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दे कर उन्हें उनका कर्म याद दिलाया था और उन्हें लड़ने के लिए प्रेरित किया था। पांडवों ने युद्ध लड़ा और जीता भी। अगर हम अपनी लड़ाई खुद नहीं लड़ेंगे तो जीतेंगे कैसे ?मुझे लगता है हमारी ज़िंदगी में सुख या दुःख जो भी है वो बहुत कुछ हमारे कर्मों पर भी निर्भर करता है ,लेकिन अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने का प्रयास हमें खुद ही करना पड़ेगा ,क्योंकि जो इंसान अपनी मदद खुद करता है तभी कोई इंसान उसकी मदद के लिए आगे आता है।
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