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Originally Posted by soni pushpa
मेरी ज़िन्दगी में मैंने भी बहुत सी परेशानियां देखी हैं , पर बहुत सी खुशियां भी पायी हैं। और मैं ही क्यों आपके साथ भी ऐसा ही हुआ होगा। हर किसी को अच्छा और बुरा दोनों समय देखना होता है। जो बात ध्यान में रखनी है वो ये कि सुख में घमंड नहीं करना और दुःख में हताश नहीं होना।
So I believe that - Life is like a Roller Coaster ride अगर अभी आप नीचे हैं तो जल्दी ही ऊपर भी आएंगे। और अगर ऊपर हैं तो नीचे भी जाना ही पड़ेगा। So just enjoy this Ride , Don't complain .....आप अकेले नहीं हैं जो दुःख सह रहे हैं , यहाँ हर किसी को ही दुःख का सामना करना पड़ता है।[/SIZE]
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dhanywad pvitraa ji ,.. आपने अपने विचार प्रकट किये . सबसे पहले तो मै आपकी गलत फहमी दूर करना चाहूंगी की ये जो कहानी है वो मेरी नही बल्कि किसी और महिला की है और उन्हें मै keise जानती हु वो भी आपको ईमेल द्वारा बताना चाहूंगी . और बात रही( आप अकेले नही इस दुनिया में जिसपर दुःख पड़ा है ) अकेले दुःख न सहने की तो सहने और कहने में बड़ा फर्क होता है . इस सत्य घटना के लिए इतना कहना यहाँ जरुरी समझती हूँ की उस महिला ने जो जो बताया वोऔर एइसे दुःख सहना न मेरे बस की बात है न आपके बस की बात है की हम इतना कुछ सह सकेंगे . जेइसा कीमैंने कहा की उस महिला की दर्दभरी कहानी का सारांश ही रखा है शायद इस बात पर आपने ध्यान नही दिया
और मेरा मानना है हर इनसान ख़ुशी चाहता है अ पने जीवन में और सुख चाहता है . और शायद जीवन पर्यंत वो सुख और खुशियों के लिए ही कमाता है मेहनत करता है रिश्ते बनाता है और खुशियाँ चाहता है पर जब जब उस महिला ने सोचा अब चलो सब ठीक है मिला एक गम तो क्या एइसा सोच सोचकर उसने खुद को संभाला किन्तु उसने कभी खुशियों का मुह नही देखा .
पवित्रा जी , जी हाँ आपके और .मेरे जीवन में भी दुःख परेशानिया आइन है, पर अपनों के साथ सहकार की वजह से हम सभलते गए हमे सुख मिले खुशियाँ मिली किन्तु उसे हताशा और दुःख मिले वो भी तब जब उसने खुद को संभालकर आगे बढ़ना चाहा उसने आपनी लाइफ से इतनी FIGHT की. कि अब वो थक के टूट गई है .[/QUOTE]
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Originally Posted by Pavitra
मैं समझती हूँ कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में सिर्फ दुःख ही दुःख हों तो वो निराश होगा ही , टूटेगा ही , भगवान से शिकायत करने का हक़ है उसका कि क्यों उसके जीवन में सिर्फ दुःख ही दुःख हैं। पर मैंने पहले भी कहा है कि जो चीज़ हमारे हाथ में ही नहीं है उसके लिए शोक करना कोई फायदा नहीं देता। आप खुद सोचिये जिन हालत में वो महिला हैं , वो असहाय हैं , वो चाह कर भी हालात नहीं बदल सकती हैं। पर ये जीवन सिर्फ उम्मीद के सहारे ही तो जिया जाता है न , एक उम्मीद के शायद हमारा आने वाला कल हमारे आज से बेहतर होगा , शायद मेरे जीवन में सब कुछ अच्छा हो जायेगा। बाकि भाग्य और भगवान पर किसी का ज़ोर नहीं है। हम सिर्फ शिकायत कर सकते हैं भगवान से , सांत्वना दे सकते हैं , हौसला दे सकते हैं , सहारा दे सकते हैं , पर हम सभी जानते हैं कि कुछ चीज़ें हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं।
बाकि अगर आपको मेरी किसी भी बात से ज़रा भी ठेस पहुंची हो तो मैं माफ़ी चाहती हूँ .
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Originally Posted by kuki
मेरा मानना है की किसी भी इंसान की ज़िंदगी परफेक्ट नहीं होती। हर इंसान के जीवन में सुख और दुःख दोनों आते ही हैं। लेकिन जैसे यहां बात चल रही है कि किसी इंसान के जीवन में सिर्फ दुःख और कठिनाइयां ही हों तो वो क्या करे ?अगर हम भगवान से शिकायत करने लगें तो इस दुनिया में हर रोज़ लाखों लोग होंगे जो किसी न किसी तकलीफ में होंगे भगवन किस -किस की शिकायत सुनेंगे ?भगवान ने हमारे लिए सबसे बड़ा काम पहले ही कर रखा है कि हमें ज़िंदगी दे रक्खी है ,अब उसे जीना हमें है और हमें ये आना चाहिए। मैं मानती हूँ की हर इंसान को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है ,अगर हमारे जीवन में दुःख हैं तो हम उन्हें दूर करने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं और किस स्तर पर कर रहे हैं ,ये महत्वपूर्ण है। महाभारत के युद्ध में अगर भगवान श्रीकृष्ण चाहते तो पूरा युद्ध एक दिन में खुद लड़ कर ख़त्म कर सकते थे ,लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि ये लड़ाई पांडवों की थी और जब अर्जुन भावनात्मक रूप से कमज़ोर हो रहे थे तो श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दे कर उन्हें उनका कर्म याद दिलाया था और उन्हें लड़ने के लिए प्रेरित किया था। पांडवों ने युद्ध लड़ा और जीता भी। अगर हम अपनी लड़ाई खुद नहीं लड़ेंगे तो जीतेंगे कैसे ?मुझे लगता है हमारी ज़िंदगी में सुख या दुःख जो भी है वो बहुत कुछ हमारे कर्मों पर भी निर्भर करता है ,लेकिन अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने का प्रयास हमें खुद ही करना पड़ेगा ,क्योंकि जो इंसान अपनी मदद खुद करता है तभी कोई इंसान उसकी मदद के लिए आगे आता है।
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बहुत अच्छा ..... सोच को प्रभावित करती हुई बाते ...धन्यवाद