Re: टीवी पर गुटबंदी
हमें विज्ञापनों से कोई ऐतराज़ नहीं है. विज्ञापन इन चैनलों की आमदनी का जरिया है. और वैसे भी कितने विज्ञापन दिखाने हैं इस पर भी नीतियाँ और नियंत्रण हैं. सूत्र के आरंभ में चर्चा इस बात पर शुरू की गई थी कि सभी न्यूज़ चैनल्स पर एक ही समय विज्ञापन शुरू होते हैं और एक ही समय समाप्त. यदि प्रत्येक चैनल स्वतंत्र रूप से staggered टाइमिंग में विज्ञापन दिखायें, तो एक निर्धारित समय पर हमें कुछ चैनल विज्ञापन प्रदर्शित करते मिलेंगे और कुछ समाचार दिखाते. लेकिन लगता है कि आपस की साठ-गाँठ से ऐसी स्थिति बना दी गई है कि एक समय पट्टी में हर चैनल पर दर्शकों को विज्ञापन ही दखाई दें. यह एक प्रकार की जबरदस्ती है, दर्शक के अधिकार पर आघात है. क्या उक्त साठ-गाँठ से निबटने का कोई उपाय है?
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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