Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
खूब बहस हुआ और अन्त में रीना का कारगर हथियार आंसू के रूप में निकल आये और मैंने आत्मसमपर्ण कर दिया। रीना ने राधा के बारे में कई बातों की जानकारी इक्कठा कर ली है और उसने ही बताया कि-
‘‘रधिया तो अपन सांय के कोहबरे दिन भगा देलकै, और ससुराल जइबे नै करो है।’’
खैर मैने माफी मांगी और राधा के पास नहीं जाने का भरोसा दिलाया पर राधा का लगाव बना रहा और बात बेबात वह मेरे घर आने जाने लगी। इतना ही नहीं जब कॉलेज जाना होता तो वह भी पता नहीं कैसे, पीछे लग जाती। धीरे धीरे रास्तों में बातें होने लगी। बहुत ही निष्छल सा वर्तालप। रास्ते से लेकर कॉलेज तक चलता। किताबों और विषयों की ज्यादा बात होती। चुंकि राधा शादीशुदा थी सो कॉलेज में उससे बातचीत करने में कोई खास दिक्कत नहीं होती, वरना ग्रामीण माहौल के कॉलेज में लड़कियों से बात करने का मतलब होता गड़बड़ और जंगल में आग की तरह इसकी चर्चा फैल जाती। एक दिन एक दोस्त ने साथ देख पूछ लिया,
‘‘के है हो’’
मेरे मुंह से अनायास ही निकल गया..
‘‘हमर कन्याय है’’
‘‘हत्त, की कहो हीं, राधा को अपनी पत्नी बताना उसे हजम नहीं हो रहा था तो हमने कहा कि राधा से ही पूछ लो और उसने जब राधा की तरफ नजर धुमाई तो उसका सिर हांमी में हिल गया। मुझे अहसास हुआ कि मैंने गलती कर दी।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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