Re: अगर कैलेंडर न होता तो ...
डॉ. जैन को लगता है कि इस लीप वर्ष को सौर और चंद्र कैलेंडर के हिसाब से दिन निर्धारित करने के लिए डाला गया होगा। डॉ. प्रतिमा बताती हैं, ‘जूलियस सीजर ने एक खगोलविद सोसिजेंस एलेंग्जेंडरिया से बेहतर कैलेंडर सुझाने को कहा, जिन्होंने कैलेंडर में सममिति लाने के लिए दिनों को 30 और 31 दिनों के बीच बांटा। इसके अलावा उन्होंने ही दिनों की गणना करते हुए फरवरी को 28 दिन का बनाया और इस तरह अलग-अलग कैलेंडरों से मिल कर आधुनिक कैलेंडर अस्तित्व में आया।’ मनीष कहते हैं कि ‘चीनी कैलेंडर बिल्कुल अलग होता है। उनका नव वर्ष अलग होता है और उनकी गणनाएं भी अलग होती हैं। हमारे यहां भी कैलेंडर अलग-अलग होते हैं। ज्योतिषीय गणनाएं सूर्य आधारित और चंद्र आधारित होती हैं और हमारे देश के कैलेंडर में यह बातें मुख्य होती हैं।’
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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