Re: डार्क सेंट की पाठशाला
इच्छा शक्ति से मिलता है लक्ष्य
महिला अधिकारों की रक्षा के लिए लोगों को जागरुक करने की जरूरत है। इसके लिए यह समझना होगा कि महिला अधिकार का सीधा सम्बंध मानवाधिकार से है। अफगानिस्तान जैसे देश में जहां महिलाओं को लंबे समय से शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा गया है, वहां मानवाधिकार हनन का मामला बनता है। यह देखकर पीड़ा होती है कि महिलाएं अपने पूरे जीवनकाल में एक बार भी डॉक्टर के पास नहीं जाती हैं यानी ये महिलाएं बिना इलाज के ही दम तोड़ देती हैं। शिक्षा व स्वास्थ्य इंसान का बुनियादी हक है। भला महिलाओं को इस अधिकार से कैसे वंचित रखा जा सकता है। इस मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी इस संबंध में मदद के लिए आगे आना चाहिए। महिलाएं सम्मान से जीना चाहती हैं। उन्हें पूरा हक है कि वे आम नागरिक की तरह आजादी व सम्मान के साथ जिएं। हां, हालात में कुछ सुधार हुआ है पर बहुत कुछ किया जाना बाकी है। कई बार बड़ी-बड़ी बातें होती हैं पर जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है। अफगानिस्तान में आज भी बड़ी संख्या में महिलाओं को स्कूल जाने और बीमार होने पर इलाज पाने की सुविधा नहीं मिलती है। आर्थिक आत्म-निर्भरता के मामले में वे पुरुषों से बहुत पीछे हैं। कानूनी लड़ाई में महिलाओं के लिए न्याय पाना आसान नहीं होता। इसकी एक वजह यह भी है कि न्यायिक सेवा में बहुत कम महिलाओं को जगह मिली है। आखिर ऐसा क्यों है? महिलाओं को उनके हक से कब तक वंचित रखा जाएगा? उन्हें भी चाहिए आजादी व सम्मान। महिलाओं को समान अधिकार देने के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति बेहद जरूरी है। इसके बगैर इस लक्ष्य को पाना कठिन होगा। हमको इतनी इच्छा शक्ति तो जागृत करनी ही होगी कि समाज का वह वर्ग जो अपने अधिकार से वंचित है उसे उसके अधिकार मिलें। देश और समाज की प्रगति के लिए ऐसा करना जरूरी है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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