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Originally Posted by Dark Saint Alaick
बहुत ही श्रेष्ठ सूत्र है, मित्र रजनीशजी। निस्संदेह मंटो एक महान कथाकार थे। इन झकझोर देने वाली रचनाओं को मंटो जैसा जिंदादिल इंसान ही मजाहिया दर्ज़े में रख सकता है, अन्यथा उर्दू अदब का यह बेशकीमती खज़ाना किसी भी इंसान की पलकें भिगो देने में समर्थ है। धन्यवाद।
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मैं आपके कथन का पूरी तरह समर्थन करता हूँ, अलैक जी. मंटो जैसा जिंदादिल इंसान, एक जिंदादिल अदीब और समाज का एक बेधड़क क्रिटिक कम देखने को मिलता है. उन्होंने अपना तमाम जीवन अपनी मान्यताओं की बेबाक प्रस्तुति और फिर उसकी यथार्थवादी दृष्टिकोण से डिफेंस करने में लगा दिया. भारतीय उपमहाद्वीप में मंटो कभी मंद नहीं पड़ेंगे.