Re: मुहावरों की कहानी
कुत्ते की पूंछ- विभिन्न स्थितियाँ
(इन्टरनेट से साभार डॉ किशोर पंवार)
जिस तरह बैरोमीटर का पारा हवा के दबाव के साथ ऊपर-नीचे होता रहता है, ठीक उसी प्रकार कुत्ते की पूँछ उसकी भावनाओं के उतार-चढ़ाव को दर्शाती है।
कुत्ते की पूँछ, वाह क्या बात है! झबरीली, रौबदार, कभी ऊँची, तो कभी नीची। इस पूँछ ने हिन्दी को भी समृद्ध किया है। 'कुत्ते की दुम' बड़ा जोरदार मुहावरा है। जिस व्यक्ति के व्यवहार में लाख कोशिशों के बावजूद कोई बदलाव न दिखे उसके लिए यही कहा जाता है कि वह तो 'कुत्ते की दुम' है। यह भी कहा जाता है कि बारह साल तक पोंगली में रखने के बाद भी 'कुत्ते की पूँछ टेढ़ी की टेढ़ी' रहती है।
आइए, मुहावरों और कहावतों को यहीं छोड़ कुत्ते की पूँछ की वास्तविकता पर आते हैं। दरअसल, कुत्ते की दुम उसकी पूँछ के अलावा उसकी भावनाओं का बैरोमीटर भी है। जिस तरह बैरोमीटर का पारा हवा के दबाव के साथ ऊपर-नीचे होता रहता है, ठीक उसी प्रकार कुत्ते की पूँछ उसकी भावनाओं के उतार-चढ़ाव को दर्शाती है।
जंतुओंके व्यवहार का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक उनके प्रत्येक व्यवहार को एकइकाई के रूप में देखते हैं जिन्हें कोनार्ड लॉरेंज ने फिक्स्ड एक्शन पैटर्न (एफएपी) यानी 'फेप' कहा है। एक फेप किसी जंतु की ऐसी मुद्रा या गति है, जो अपनी भावनाएँ दूसरे को प्रेषित करने में सहायक होती है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 24-01-2018 at 12:54 PM.
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