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Old 30-07-2015, 11:17 PM   #19
Pavitra
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AURA


प्रत्येक जीव के शरीर के चारों ओर एक वलय होती है जिसे Aura यानि आभा कहते हैं । प्रत्येक जीव जिसे जीवित रहने के लिये औक्सीजन की आवश्यकता होती है , उसकी अपनी एक आभा होती है । Aura को महसूस किया जा सकता है और कुछ प्रयासों के साथ देखा भी जा सकता है ।

Aura के माध्यम से आसानी से बताया जा सकता है कि व्यक्ति अभी क्या महसूस कर रहा है?क्या वह गुस्से में है या किसी अवसाद से ग्रसित है? सभी जीवों के चारों तरफ हर समय एक ऊर्जा का प्रवाह होता रहता है | यह ऊर्जा सकारात्मक होगी या नकारात्मक ये पूरी तरह से हमारे कर्मों पर निर्भर करता है ।

अगर कोई व्यक्ति हमारे करीब से गुजरता है तो वह हमारी ऊर्जा को प्रभावित करता है । जब हम किसी से हाथ मिलाते हैं , गले मिलते हैं या पास में भी खडे होते हैं तो हम उस ऊर्जा के प्रवाह में बाधा डालते हैं । आपने गौर किया होगा कि आप किसी व्यक्ति से मिलते हैं तो आपको उससे मिलकर बहुत अच्छा महसूस होता है , और कभी कभी किसी व्यक्ति के आपके पास से गुजर जाने भर से आप बुरा महसूस करने लगते हैं , आपको उसका बात भी करना बर्दाश्त नहीं हो पाता । ऐसा सभी लोगों के साथ होता है । दरसल ऐसा उसी ऊर्जा की वजह से होता है जो हर समय हमारे आस-पास Aura बनके प्रवाहित हो रही होती है ।

सामान्य तौर पर व्यक्ति का Aura उस व्यक्ति के शरीर से 3 फुट की दूरी तक प्रवाह करता है। कुछ विशेष लोगों का Aura उनके शरीर से 40-50 फुट की दूरी तक भी फैला होता है । विशेष लोगों से मतलब है कि सन्त , सात्विक लोग , महान व्यक्तित्व या चोर , Rapist..... जी हाँ एक Rapist का Aura भी उसके शरीर से काफी दूर तक प्रवाहित होता है, शायद यही वजह होती है कि बहुत से लोग भीड-भाड वाली जगहों पर , फिल्म थियेटर या बस/ट्रेन में .... ऐसे लोगों को देख कर आभास लगा लेते है कि ये सही व्यक्ति नहीं हैं और बहुत बार हमें ये आभास मदद करता है हमारा ऐसे लोगों से बचाव कराने में ।

कहते हैं भगवान बुद्ध का Aura उनके शरीर से 80 मील की दूरी तक प्रवाहित होता था ।

ये हमारे कर्म और भावनाएँ निर्धारित करते हैं कि हमारी ऊर्जा सकारात्मक होगी या नकारात्मक और हमारी ऊर्जा का प्रवाह कितना होगा ।
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Last edited by Pavitra; 31-07-2015 at 03:20 PM.
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