Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
भारतीय मिथक कथा
ययाति की कथा
एक बार दैत्यराज वृषपर्वा की पुत्री शर्मिष्ठा अपनी सहेलियों के साथ अपने बाग में घूम रही थी i उनके साथ में गुरु शुक्राचार्य की
पुत्री देवयानी भी थीi शर्मिष्ठा अति मानिनी तथा अति सुन्दर राजपुत्री थी किन्तु रूप लावण्य में देवयानी भी किसी प्रकार कम
नहीं थीi वे सब की सब उस उद्यान के एक जलाशय में, अपने वस्त्र उतार कर स्नान करने लगीi उसी समय भगवान् शंकर
पार्वती के साठ उधर से निकलेi भगवन शंकर को आते देख वे सभी कन्याएं लज्जावश से दौड़ कर अपने-अपने वस्त्र पहनने
लगींi शीघ्रता मेंशर्मिष्ठा ने भूलवश देवयानी के वस्त्र पहन लियेi इस पर देवयानी अति क्रोधित हो कर शर्मिष्ठा से बोली, āरे
शर्मिष्ठा! एक असुर पुत्री होकर तूने ब्राह्मण कन्या का वस्त्र धारण करने का साहस कैसे किया? तूने मेरे वस्त्र धारण करके मेरा
अपमान किया हैiā देवयानी ने शर्मिष्ठा को इस प्रकार से और भी अनेक अपशब्द कहेi देवयानी के अपशब्दों को सुनकर शर्मिष्ठा अपने अपमान से तिलमिला गई और देवयानी के वस्त्र छीन कर उसे एक कुएं में धकेल दियाi
शर्मिष्ठा के चले जाने के पश्चात दैववश राजा ययाति शिकार खेलते हुये वहां पर आ पहुंचेi अपनी प्यास बुझाने के लिए वे कुएं के
निकट गये और उस कुएं में वस्त्रहीन देवयानी को देखाi उन्होंने देवयानी क देह को ढंकने के लिये अपना दुपट्टा उस पर डाल दिया
और उसका हाथ पकड़ कर उसे कुएं से बाहर निकालाi इस पर देवयानी ने प्रेमपूर्वक राजा ययाति से कहा, āहे आर्य! आपने मेरा
हाथ पकड़ा है अतः मैं आपको अपने पति रूप में स्वीकार करती हूँi हे वीरश्रेष्ठ! यद्यपि मैं ब्राह्मण पुत्री हूँ किन्तु बृहस्पति के पुत्र
कच के शाप के कारण मेरा विवाह ब्राह्मण कुमार के साथ नहीं हो सकताi इसलिए आप मुझे अपने प्रारब्ध का भोग समझ कर
स्वीकार कीजियेiā ययाति ने प्रसन्न हो कर देवयानी के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लियाi
Last edited by rajnish manga; 07-06-2013 at 11:46 PM.
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