Re: अघोषित आलसी का इकबालनामा
वैश्या और रिक्शेवाला
जमा देने वाली सर्दी और उफ़ ये धुंध...
वो बैठी है रिक्शे में....
बेकरारी से निहार रही है –
आस पास गुजरते गाडी वालों को.
५० रुपे का ठेका है...
रिक्शे वाले के साथ....
ग्राहक न मिलने तक...
यूँ ही घुमाता रहेगा
इस महानगर के राजमार्ग पर
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