Re: पैसा----- या------ प्यार
कल ही ट्रेन के सफर दौरान मेरे पीछे बैठे हुए दो दोस्त...जिनमें से एक लड़की थी, पैसे की महत्ता को समजा रही थी।
मुझे लगा की कई लोग एसे भी है जो बातें तो प्रेम और खुशी की बातें तो करते है लेकिन अभावो से पीड़ीत भी है।
मै उस समय कोई निष्कर्ष पर नहीं पहूंच पाया था, लेकिन फिर सोचा की जो हमारे पास नहीं होता उसी की कदर हमें अधिक होती है और जो हमारे पास पहेले से ही मौजुद है उससे हमें संतुष्टी हो जाती है।
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