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Originally Posted by arvind shah
सोनीजी प्यार या पैसा दोनों में से कौन महत्व अधिक रखता है और कौन कम ये पुर्णत: व्यक्ति की सोच पर निर्भर करता है !! विशेषकर आपने जीन तीन रिश्तों की बात की उसमें !!
व्यक्ति के जन्म के बाद उसका पारिवारिक माहोल, स्थितियां, माँ—बाप द्वारा दिये गये संस्कार आदि सभी उस व्यक्ति के व्यक्तित्व को बनाते है किवह किन चिजों को अपने जीवन में मौल देता है !!
मैने अपने आस—पास इन दोनों ही वैरायटी को देखा है और जो प्रश्न आपने उठाये वही प्रश्ननों के सन्दर्भ में उनको पुरी तरह टटोला भी है ! कुल मिला के जो रिजल्ट सामने आया उसमें 95 प्रतिशत भुमिका उपर लिखी बातो से बनती है और 5 प्रतिशत जन्मजात स्वभाव के कारण होता है !
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सबसे पहले बहस में भाग लेने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद अरविन्द जी ,..जेइसा की आपने कारन बताये पारिवारिक माहोल , स्थितिया और माँ बाप के दिए संस्कार इनमे हम एक बात और भी जोड़ सकते हैं अरविन्द जी , भोग विलास आज के युग की चमक दमक में इंसान खो जाने के लिए अपनो को, अपनों के प्यार को भूलता जा रहा है . रिश्तों की क़द्र तब होती है जब आप किसी बीमारी से ग्रसित बनो या फिर कोई आफत आन पड़े तब रिश्तों में रहा प्यार ही काम आता हैं . इसलिए मेरा मानना है पैसों को महत्व दो क्यूंकि जीने के लिए पिसा भी जरुरी है लेकिन इतना नही ... की अपनो के प्यार को भूल जाओ . और हाँ आपकी कही बातें भी सही है कुछ हद तक ये सब चीज़े इन्सान के स्वाभाव में मिलती हैं और ये तय होता है की इन्सान परिस्थियों से मजबूर होकर या संकारों की वजह या फी स्वभावगत खूबिय या कमियों की वजह से एइसा स्वार्थी या परमार्थी बन जाता है याने वो किसे महत्व देता है पैसो को या अपनो के प्यार को .