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Old 30-01-2015, 10:24 PM   #10
Pavitra
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Default Re: पैसा----- या------ प्यार

एक अच्छा विषय हमारे बीच रखने के लिये सबसे पहले तो आपका आभार - अब बात आपके प्रश्न की कि पैसा या प्यार .......मैं चहती हूँ कि पहले बिना किसी निष्कर्ष पर पहुँचे, और भावनओं को एक तरफ रख कर , हमें थोडा व्याव्हारिक होकर स्थिति को देखना चाहिये ।

हम सभी को जीवन जीने के लिये कुछ मूलभूत चीजों की आवश्यकता होती है जैसे - घर , भोजन , कपडे , स्वास्थ्य , आदि । अब जब जीना है तो इन जरूरतों का भी ध्यान रखना ही होगा , क्योंकि इनके बिना जीवन सम्भव नहीं है । अब जरा व्याव्हारिक होकर सोचिये कि क्या ये सारी जरूरतें बिना पैसे के सम्भव हैं ? अगर व्यक्ति पैसे के बारे में ना सोचे तो वो कैसे जीयेगा ? पैसे की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता है । हम चाहे जितना मर्जी कहें कि हम पैसे को महत्व नहीं देते , लेकिन वास्तविकता यही है कि हम सभी जानते हैं कि बिना धन के हम एक दिन भी गुजारा नहीं कर सकते । हम सभी अगर अपने दिल से एक बार पूछें तो हम सभी इस बात पर सहमत होंगे कि आज धन हमारे लिये जरूरी है । इस लिये ये कहना कि पैसे की कोई कीमत नहीं है सिर्फ प्यार की कीमत है , गलत होगा ।

अब बात प्यार की - प्यार मनुष्य का मूल स्वभाव है । हमें प्यार सीखना नहीं पडता , ये हमारे अन्दर जन्मजात होता है । हमारे शरीर् में जब पानी की कमी होती है तो हमें बाहर से पानी की आवश्यकता होती है , और हम पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं , ठीक उसी प्रकार जब हमारे अन्दर प्रेम की कमी होती है तो हम बाहर उस प्रेम की तलाश करते हैं । जिस प्रकार पानी के बिना जीवन असम्भव है उसी प्रकार प्रेम भी हमारे लिये परमावश्यक है । बिना प्रेम के ये सृष्टी आगे बढ ही नहीं सकती । इसलिये प्यार भी अति महत्वपूर्ण है हमारे जीवन में ।

प्यार और पैसे में कोई तुलना ही नहीं होनी चहिये क्योंकि ये दोनों ही चीजें हमारे लिये आवश्यक हैं और अपनी अपनी जगह मूल्यवान भी । पर तुलना हमेशा होती है और इस तुलना का कारण है - "तुलना(Comparison)" ......तुलना दो व्यक्तिओं के बीच के "अहं" की.....उसके पास मुझसे ज्यादा कैसे ? आज व्यक्तिओं में सन्तोष का अभाव है । और एक असन्तुष्ट व्यक्ति हमेशा इर्ष्या और द्वेष से भरा रहता है जिसकी वजह से प्यार का अभाव हो जाता है । जब तक "अहं" रहता है इन्सान के अन्दर उसे प्यार की कीमत ही नहीं समझ आती (क्योंकि प्यार में स्वयं से पहले दूसरों के बारे में सोचना पड्ता है , और जो व्यक्ति अहं से ग्रसित है वो दूसरों के बारे में कैसे सोच सकता है?) .....और जिस दिन उसके सारे रिश्ते उसके अहं की वजह से समाप्त हो जाते हैं , और व्यक्ति अकेला रह जाता है , तब उस एकाकीपन में उसे प्यार की कीमत समझ आती है । क्योंकि प्यार ही हमारा मूल स्वभाव है , पैसा हमारी आवश्यकता है । अब व्यक्ति आवश्यकताओं का अभाव तो सह सकता है पर मूल स्वभाव का अभाव ज्यादा समय तक नहीं सह सकता इसलिये ही आज कल लोग तनाव , अवसाद के शिकार ज्यादा होते हैं ।
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Last edited by Pavitra; 30-01-2015 at 10:27 PM.
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