Re: saccha prem
बहुत ही अद्भुत प्रसंग है। कृष्ण-राधा प्रेम पुजनीय है। शायद प्रेम की तभी उच्चतम और महान बना रहता है जब वह अधूरा रहता है!
वैसे ओफ धी टॉपिक...सच्चा प्रेम क्या होता है? हम यह दो शब्दों का योग बार बार हंमेशा सुनते है....'सच्चा प्रेम' । मै अपने ब्लॉग में भी जिक्र करता रहेता हुं की प्रेम 'सच्चा' कैसे हो सकता है? सच्चा है तभी तो वह प्रेम है! जुठा है तो वह प्रेम है ही नहीं!
यह तो वही बात हो गई की' गर्म बरफ' या 'ठंडी आग' ।
जैसे की मेरे प्यारे गुलज़ार जी कहतें है....प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो!
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