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Originally Posted by rajnish manga
यहाँ मेरा कुछ मतभेद है...उसके अलावा, सच्चा कहने से प्रेम की तीव्रता का आभास होता है.
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काश, ईस 'झूठे प्रेम' को 'प्रेम' कि केटेगरी से ही बाहर निकाल फेंक पाए तो कितना अच्छा!
फिर तो जब प्रेम की बात हो शुद्ध प्रेम की ही बात हो।