Re: दोस्तों की "चौपाल".
नमस्कार, मित्रो. गर्मियों और बरसातों से निकल कर हम शिशिर के दरवाजे पर खड़े हैं. मौसम में बदलाव आ रहा है. हलकी हलकी ठंड हिलोरें लेने लगी है. हिमाचल में कुछ पर्वतों पर हिमपात भी हो चुका है. इस बदलते मौसम की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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