Quote:
Originally Posted by draculla
भाई मैं नियामक तो बन गया हूँ/
लेकिन हूँ मित्र ही/
पहले की तरह संबोधित करोगे तो अच्छा लगेगा/
नहीं तो ऐसा प्रतीत होता है की कोई अंजान शख्स मुझे तिरछी निगाहों से देख रहा है/
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हा हा हा
कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना
ऐसे कोई बात नहीं
तुम प्रशासक भी बन जाओ तो भी कुछ फर्क नहीं परता
कुछ कम नहीं मै भी तुमसे