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Originally Posted by draculla
जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया/थोड़ा होशियार हो गया तो डर से पंगा लेने लगा.मैं हर उस वस्तु और जगह को देखने लगा जिससे मुझे डर लगता था और मैं यह जानने की कोशीश करता था की अजीब सी आवाज या परछाई कैसे बन रही है.जब मैं कारन तक पहुच जाता था तो डर अपने आप निकल जाता था.अब तो ऐसा हो गया है की भुत का विचार ही नहीं आता है/
इस बात पर बहुत बार मेरे दोस्तों में बहस हुई है की भुत है या नहीं.बहुत से मित्र कहते हैं की यदि भगवान है तो भुत भी है.लेकिन मैं उनके इस विचार से सहमत नहीं हूँ.मैंने बहुत बार भुत के बारे में सोच कर डरने की कोशीश की है लेकिन मुझे डर नहीं लगता है.लेकिन जब भगवान के बारे में सोचता हूँ.तो मुझे उसके उपस्थिति का एहसास भी होता है.डर को भगाने का एक तरीका यह है की यदि कोई भी आवाज हो तो उस आवाज का पीछा करें या कोई साया बन रहां हो तो उसके बनाने की वजह ठन्डे दिमाग से जाने की कोशीश करने/फिर देखिये आप का डर दूर हो जायेगा/
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बहुत अच्छे भाई लेकिन एक दो कारण भी बता देते सबको तो हो सकता हे सबका डर ही भाग जाये ! जो आपने देखा वो बताये !