Re: पशु पक्षी और प्यार की देवी गीता रानी
ब्लेकी की मौत के बाद कई दिनों तक गीता ने किसी जानवर या पक्षी को अपने घर नहीं लाया, लेकिन वे घर के बाहर जानवरों और पक्षियों से मिलती रहीं, उनकी सेवा करती रहीं। गीता जहाँ कहीं किसी जानवर या पक्षी को ज़ख़्मी और बुरी हालात में देखतीं तो वे उसकी मदद करतीं और सुरक्षित जगह पहुँचाकर ही अपने घर लौटतीं।
गीता की ज़िंदगी में दुःख और पीड़ा देने वाली घटनाएँ बहुत हैं। परिवार में कभी सुख-शान्ति नहीं रही। घर में हमेशा रुपयों की किल्लत बनी रही। माँ-बाप के झगड़े कभी ख़त्म नहीं हुए। गीता के बाद विजयन और मल्लिका को तीन और बच्चे हुए – दो लड़कियाँ और एक लड़का। विजयन और मल्लिका – दोनों के काम करने के बावजूद कमाई इतनी नहीं हो पाती कि घर-परिवार की सारी ज़रूरतें पूरी की जा सके। विजयन और मल्लिका को सबसे बड़ा सदमा उस समय पहुंचा जब उनका एकलौता बेटा एक दुर्घटना का शिकार हो गया। विजयन और मल्लिगा को अपने बेटे से बहुत उम्मीदें थीं। दोनों को लगता था कि बेटा बड़ा होकर खूब कमाएगा और घर-परिवार की सारी समस्याओं को हमेशा के लिए दूर करेगा, लेकिन जब उनका बेटा कमाने के लिए तैयार हुआ ही था कि उसकी एक दुर्घटना में मौत हो गयी। दुर्घटना के समय विजयन और मल्लिका के बेटे की उम्र महज़ 21 साल थी।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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