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Originally Posted by rajat vynar
जिस कल्चर की आप बात कर रही हैं उसका मुझे संज्ञान है। लाखों-करोडों का खर्च होने वाली शादी का कार्ड मिलना भी कोई मामूली बात नहीं, सोनी पुष्पा जी। किसी साधारण व्यक्ति को नहीं मिलता ऐसा कार्ड। ऐसा कोई कार्ड अपनी शक्ति से प्रकट किया क्या जो इस बारे में चर्चा कर रही हैं? वैसे किसी कहानी का कितना सुन्दर आइडिया लिखा है आपने। शादी में मिले और दुश्मनी दोस्ती में बदल गई। शादी में मिले और दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। वाह-वाह, क्या बात है। इसीलिए तो मैं कहता हूँ- आपमें बहुत कुछ बनने की क्षमता है। आपके अन्दर एक दो नहीं, कई कलाऍ छिपी हुई है। बस उन कलाओं को खोद-खोद कर बाहर निकालने की जरूरत है। बधाइयाँ।
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Originally Posted by rajat vynar
जिस कल्चर की आप बात कर रही हैं उसका मुझे संज्ञान है। लाखों-करोडों का खर्च होने वाली शादी का कार्ड मिलना भी कोई मामूली बात नहीं, सोनी पुष्पा जी। किसी साधारण व्यक्ति को नहीं मिलता ऐसा कार्ड। ऐसा कोई कार्ड अपनी शक्ति से प्रकट किया क्या जो इस बारे में चर्चा कर रही हैं? वैसे किसी कहानी का कितना सुन्दर आइडिया लिखा है आपने। शादी में मिले और दुश्मनी दोस्ती में बदल गई। शादी में मिले और दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। वाह-वाह, क्या बात है। इसीलिए तो मैं कहता हूँ- आपमें बहुत कुछ बनने की क्षमता है। आपके अन्दर एक दो नहीं, कई कलाऍ छिपी हुई है। बस उन कलाओं को खोद-खोद कर बाहर निकालने की जरूरत है। बधाइयाँ।
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बहुत बहुत धन्यवाद रजत जी इस बहस में भाग लेने के लिए ,आज के समय में
बड़े लोग तो धाम धूम से शादी करके समाज में खर्च करने का एक नियम सा बना डालते हैं . जिसकी मार साधारण लोगो पर पड़ती है क्यूंकि शादी के नाम पर अब जितने ज्यदा प्रोग्राम होंगे उतने खर्च ज्यादा और जब एक मध्यम वर्ग के इंसान पर खर्च का बोझ आता है तब वो क़र्ज़ लेकर ही उसे पूरा कर सकता है....
और अगर साधारण ईन्सान अपने पर क़र्ज़ का बोझ न लेकर एइसे सादगी से ये जीवन का बड़ा कार्य निपटा भी लेते हैं पर उनके मन में जीवन भर के लिए एक अफ़सोस एक खटका सा रह जाता है की काश हम भी बड़ी से बड़ी धामधूम कर सकते शादी में
याने पिसता कौन है एइसे समाज के बढ़ते दिखावे से? मध्यमवर्गीय इन्सान ही न ?