Re: "हिन्दू काल गणना"
पाणिनि और विधि सम्मत वैज्ञानिक संकेत चिन्ह
भारतीय विज्ञान के इतिहास में एक विशेष प्रगति, जिसका गंभीर प्रभाव सभी परवर्ती गणितीय ग्रंथों पर पड़ना था, संस्कृत व्याकरण और भाषा विज्ञान के प्रणेता पाणिनि द्वारा किया गया काम था। ध्वनिशास्त्र और संरचना विज्ञान पर एक विशद और वैज्ञानिक सिद्धांत पूरी व्याख्या के साथ प्रस्तुत करते हुए पाणिनि ने अपने संस्कृत व्याकरण के ग्रंथ अष्टाध्यायी में विधि सम्मत शब्द उत्पादन के नियम और परिभाषाएं प्रस्तुत कीं। बुनियादी तत्वों जैसे स्वर, व्यंजन, शब्दों के भेद जैसे संज्ञा और सर्वनाम आदि को वर्गीकृत किया गया। संयुक्त शब्दों और वाक्यों के विन्यास की श्रेणीबद्ध नियमों के जरिये उसी प्रकार व्याख्या की गई जैसे विधि सम्मत भाषा सिद्धांत में की जाती है।
आज पाणिनि के विन्यासों को किसी गणितीय क्रिया की आधुनिक परिभाषाओं की तुलना में भी देखा जा सकता है। जी. जी. जोसेफ ’’दी क्रेस्ट आॅफ दा पीकाॅक’’ में विवेचना करते हैं कि भारतीय गणित की बीजगणितीय प्रकृति संस्कृत भाषा की संरचना की परिणति है। इंगरमेन ने अपने शोध प्रबंध में ’’पाणिनि - बैकस फार्म’’ में पाणिनि के संकेत चिन्हों को उतना ही प्रबल बतलाया है जितना कि बैकस के संकेत चिह्न। बैकस नार्मल फार्म आधुनिक कम्प्युटर भाषाओं के वाक्यविन्यास का वर्णन करने के लिए व्यवहृत होता है जिसका अविष्कारकत्र्ता बैकस है। इस प्रकार पाणिनि के कार्यों ने वैज्ञानिक संकेत चिन्हों के प्रादर्श का एक उदाहरण प्रस्तुत किया जिसने बीजगणितीय समीकरणों को वर्णित करने और बीजगणितीय प्रमेयों और उनके फलों को एक वैज्ञानिक खाके में प्रस्तुत करने के लिए अमूर्त संकेत चिह्न प्रयोग में लाने के लिए प्रेरित किया होगा।
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