Re: मुहावरों की कहानी
के पी सक्सेना
व्यंग्यकार व फिल्मों के डायलाग राईटर
जन्म: 1934
मृत्यु: 31 अक्तूबर 2013
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बरेली में 1934 में जन्मे कालिका प्रसाद सक्सेना, अपने फैंस के बीच केपी नाम से लोकप्रिय हुए। वे पचास के दशक में लखनऊ आए थे।
तीन भाषाओं की एक राह
केपी को हिन्दी, उर्दू और अवधी समान रूप से आती थी। साहित्य में इनके योगदान के लिए भारत सरकार ने सन 2000 में केपी को पद्मश्री से नवाजा। सहज और जीवंत अंदाज की लेखनी के कारण केपी की फिल्मी राह आसान हुई। उन्होंने 'लगान (2001), स्वदेश (2004), हलचल (2004), जोधा अकबर (2008)' जैसी सुपरहिट फिल्में दी हैं। इनमें से 'जोधा अकबर' बेस्ट डॉयलाग कैटेगरी में फिल्म फेयर अवार्ड के लिए नोमिनेट हुर्इ थी। 'लगान' के संवादों में केपी ने अवधी के अलावा भोजपुरी और ब्रज-भाषा का भी प्रयोग किया। वे पिछले कुछ अर्से से अपनी आत्मकथा लिख रहे थे।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 02-12-2014 at 06:48 PM.
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