Re: मुहावरों की कहानी
कभी गाड़ी नाव पर, कभी नाव गाड़ी पर
एक व्यक्ति अपने बेटे के साथ बाजार गया. ज़रुरत का सामान खरीदने के बाद वे बाजार से घर जाने के लिए अपने रास्ते पर चल दिए. अभी कुछ ही दूर चले थे कि उन्हें सामने से एक बैल गाड़ी आती हुई दिखाई दी. बैल गाड़ी को और से देखते हुए पिता ने अपने बेटे से कहा,
“बेटे देखो, गाड़ी पर नाव आ रही है.”
बेटे ने भी उधर देखा तो पाया कि बैलगाड़ी पर नाव लदी हुई थी और वे लोग आगे की ओर चले जा रहे थे. यह दृश्य देख कर बालक को कुछ ध्यान आया तो वह अपने पिता से पूछ बैठा,
“पिता जी, नाव तो पानी में चलती है न. यह नाव गाड़ी पर क्यों चल रही है?”
“हाँ, तुम ठीक कहते हो, नाव तो पानी पर ही चलती है. लेकिन बेटा, यह एक नयी नाव है जिसे बढइयों ने बनाया है. अब क्योंकि नाव सड़क पर चल नहीं सकती, इसलिए इसे गाड़ी पर लाद कर नदी की ओर ले जाया जा रहा है. जब नाव नदी के किनारे पर पहुच जायेगी तब इसे पानी में उतारा जायेगा. उस समय यह पानी पर चलना शुरू कर देगी. समझ गये?” पिता ने पुत्र को समझाते हुये कहा.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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