ईस दौरान राजपाल की कंपनी डुब रही थी। रही सही एजेन्सीस भी अपना पल्लु झाड रही थी। राजपाल ने अब साबुन की क्वालिटी संभालने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा न हुआ। मेनेजर कौशिक के साथ भी राजपाल की बहस हो गई। कौशिक ने साफसाफ कह दिया की प्रकाश सोप की क्वालिटी सचमुच ही बढिया है, यहां तक की मेरे घर पर भी अब यही साबुन ईस्तमाल किया जाता है।
नोंकझोंक के बाद कौशिक ईस्तफा दे देता है। उसे नौकरी की जरुरत तो होती ही है सो वह नवीन के यहां पहूंच जाता है। अबतक किसी को यह पता नहीं होता की प्रकाश सोप किसका है। जैसे ही कौशिक वहां नवीन को देखता है तो डर जाता है, क्युं की कौशिक ने ही शादीवाले दिन सत्यप्रकाश को फंसवाया था। लेकिन नवीन उसे नौकरी देता है और कहता है की बाबुजी की सजा भी कट चूकी है, सो कोई फायदा नहीं वापस गड़े मुर्दे उखाड ने से।
लेकिन नवीन कौशिक को अपनी बहन मोहीनी के घर जरुर भेजता है जहां कौशिक सारे ससुरालवालों को सच्चाई बताता है, की सत्यप्रकाश निर्दोष है। ईस पर सभी को मोहीनी के प्रति किया गया दुरव्यहार पर ग्लानि होती है।
पुरा परिवार फिर से मिलता झुलता है। नवीन भी सबको कमलेश से मिलवाता है। कमलेश को सब स्वीकार कर लेतें है।