Re: बॉलीवुड के 101 वर्ष> महत्वपूर्ण पड़ाव
बॉलीवुड के 101 वर्ष> महत्वपूर्ण पड़ाव
रमेश सिप्पी की 1975 में बनी फिल्म 'शोले' ने हिन्दी फिल्म निर्माण को नई दिशा दी। यह अभिनेता अमिताभ बच्चन केएंग्री यंग मैन के रूप में उभरने का दौर था।। हालांकि 80 के दशक में बेसिरपैर की ढेरों फिल्में भी बनीं, जिनमें न कहानी थी न विषय। वैसे यह दौर कलरटेलीविजन का था जब हर घर धीरे धीरे थियेटर का रूप ले रहा था।
60 और 70 का दशक हिंदी फिल्मों के सुरीले दशक के रूप में स्थापित हुआ तो 80 और 90 के दशक में हिन्दी सिनेमा बॉलीवुड बनकर उभरा। हालांकि 90 के दशक मेंफिल्मी गीत डिस्को की शक्ल ले चुके थे। इसी दशक में आमिर, शाहरूख और सलमानका प्रवेश हुआ। मनोज कुमार ने कहा कि आज हिन्दी फिल्मों में सशक्त कथानक काअभाव पाया जा रहा है और फिल्में एक खास वर्ग और अप्रवासी भारतीयों को ध्यान में रखकर बनायी जा रही है, जिसके कारण लोग सिनेमाघरों से दूर हो रहेहैं क्योंकि इन फिल्मों से वे अपने आप को नहीं जोड़ पा रहे हैं।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 28-12-2014 at 08:00 AM.
|