Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
देह में एक सनसनी सी दौर गई थी, बात ही कुछ ऐसी हुई। शाम का समय था और मैं हमेशा की तरह शाम में रीना के घर के बगल में स्थित कुंआं से पानी लेने के लिए गया हुआ था। इसी बीच कहीं से रीना आ रही थी। सूरज अपने घर जा चुके थे जिसकी वजह से अंधेरा होने के लक्षण दिखने लगे थे। अभी पानी लेने के लिए कुंयें में बाल्टी डाली ही थी कि रीना पास आ गई और हमेशा की तरह उसकी चुहलबाजी शुरू हो गई।
‘‘ की रे बरहिला, बढ़ीया से पानी भरहीं नै तो खाना नै मिलताउ’’
उसकी यह बात सुनते ही सटाक से पानी से भरी हुई बाल्टी निकाली और चबुतरा पर पटकते हुए रीना का हाथ पकड़ कर उमेठ दिया।
‘‘तोंय जब गोबरा ठोकों ही तब नौरी होबोहीं की..अपन काम करोहीए बराहीलगीरी नै, जादे मामा नै बनहीं’’
वह छटपटाने लगी पर उसकी उस छटपटाहट में एक अलग सा एहसास था जैसे वह वांहों में आ जाना चाहती है।
‘‘छोड़ हाथा, नै तो ठीक नै हो ताउव, हल्ला करे लगबै’’
और वह छटक कर भागने की कोशिश की और इस हाथापाई में मेरा हाथ उसके सीने से सरकता हुआ गुजर गया। इस छुअन ने सनसनी पैदा कर दी। यह पहला एहसास था, इस तरह से उसको छूने का। धड़कने तेज हो गई। जोर जोर से सांस चलने लगी और रगों में खून का बहाव ही तेज हो गया।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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