Re: आपस की बात अलैक शेरमन के साथ (Aapas ki Baat)
अब तक मैंने जो कहा है, उसमें एक बात काबिले-गौर है कि जब भारत का विभाजन हुआ, तब भारत की राजनीतिक विरासत संभालने वाली कांग्रेस के नेतृत्व की तब तक लगभग तीन पीढियां गुज़र चुकी थीं और उन्हें स्वतंत्रता आन्दोलन में जन सहभागिता और शासन-प्रशासन में उसकी भागीदारी का एक लंबा अनुभव हासिल था, दूसरी ओर मुस्लिम लीग की स्थिति इसके एकदम उलट थी ! सदा अंग्रेजों के पिट्ठू बने रहने के कारण न तो जनता से उसके नेतृत्व का कोई जुड़ाव था और न उन्हें जन-सहयोग से शासन-प्रशासन चलाने का कोई तरीका ही मालूम था ! वे येन-केन-प्रकारेण सत्ता हासिल करना चाहते थे और उसे हासिल करने के बाद वे इतने आत्म-मुग्ध हो गए कि उन्होंने अपना 'कौम के लिए राज्य स्थापना' का अपना उद्देश्य भी भुला दिया ! यह फर्क इस तथ्य से भी ज़ाहिर होता है कि कांग्रेस का आन्दोलन जनता से जुड़ कर और पूरी तरह क़ानून सम्मत तरीकों से चला कि उसके नेताओं के पास विरोध के लिए सत्याग्रह करते हुए जेल जाने की एक लम्बी फेहरिस्त है, जबकि आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि मुस्लिम लीग के इतिहास में जितने नाम नज़र आते हैं, इनमें से एक भी शख्स किसी भी आन्दोलन के कारण एक पल के लिए भी कभी जेल नहीं गया ! यही है वह सबसे बड़ी वज़ह जिसने कांग्रेस को जनता से कदम से कदम मिलाने की राह पर आगे बढ़ाया और मुस्लिम लीग के नेता अगर चाहते, तो भी ऐसा हरगिज़ नहीं कर सकते थे, क्योंकि उनका आन्दोलन जन आन्दोलन कभी रहा ही नहीं था ! मुस्लिम लीग और कांग्रेस की आज़ाद देशों में स्थिति पर नज़र डालें, तो स्थिति और भी स्पष्ट हो जाती है ! भारत में इस समय मुस्लिम आबादी 17 कऱोड 70 लाख है और पाकिस्तान से ज्यादा जनसंख्या होने के बावजूद आज भारत में मुस्लिम लीग केवल केरल तथा आन्ध्र प्रदेश के कुछ हिस्से तक सिमटी हुई है और दूसरी तरफ पाकिस्तान में भी उसकी कम दुर्गति नहीं हुई है ! वहां वह कई हिस्सों में विभाजित हुई और उसके कई तबकों के नेता गद्दीनशीन हुए, उन्होंने उससे निकल कर कई पार्टियां भी बनाईं ! आज वह मुख्यतः दो धड़ों-मुस्लिम लीग (कायदे-आज़म) और मुस्लिम लीग (नवाज़) में बंटी हुई है और सत्ता से बाहर है ! मेरे विचार से पाकिस्तान के भारत से एक अलग राह पर चल पड़ने का एक बड़ा कारण यह भी है !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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